मंगलवार, 25 नवंबर 2014

मन:स्थिति

  • नमस्कार। 
१२ जून की एक उदासीन शाम को लिखी अपनी कुछ पंक्तियाँ आपसे साझा कर रहा हूँ जिनमें ज्यादा कुछ
न कर अपने ही सिद्धांतों और विचारों की चीरफाड़ की है।

                सारे जग से आज बिसर गया मैं ,

                          अपनी ही बात से मुकर गया मैं ,

                 ख्वाबों की बात जो करता था हरपल। 

                         अपने ही ख्वाब से आज कनारा कर गया मैं। 

             ये कौनसे मंदिर की सीढियाँ चढ़ गया मैं, 

                         के अपनी ही परछाई से आज डर गया मैं।

             ख्वाबों के फसानों  को हक़ीकत में बदलने की चाहत ,

                         जो रखता था हमेशा,

             हक़ीकत के सामने ,

                          आज कैसी मात स्वीकार कर गया मैं।।

             गैर परंपरावादी होने का दंभ भरने वाला,

              खुद को जो हमेशा कहता था निराला ,

                         रूढ़िवाद और परम्परा की जकड़न में ,

                         आज कैसे जकड़ गया मैं।।

           तेरी,मेरी और उसकी न कहने वाला ,

           समय की धाराओं के साथ ,

                         कभी न बहने वाला ,

          आज अपने सिद्धांतों से समझौता,

                        कैसे कर गया मैं।।।।

                                                                                                     अनिल''अबूझ ''

1 टिप्पणी:

  1. अनिल जी यह आत्मा कि वह रुनक झुनक है जो योगी को विचलित करती है
    आत्मा बहुआयामी है ...वह जीवन कि रचना करती है .जीवन क्या है ...मात्र
    प्राण तो नही....वह प्राणो का प्राण है ...जो सत्य में निवास करता है.सत्य कि
    व्याख्या को मन विवेक तक पहुंचता है ..विवेक आत्मा को निर्णय प्रदान करता है
    अगर आप गलती से किसी ऐसे मंदिर में पहुंच गए है जहां पर सीढियाँ भय का
    राग गा रही है तो आप गलत नही है ...सीढ़ियां ...मंदिर...परकोटा ....ध्वजा ...
    गुंबद ...कोई भी गलत हो सकता है ..
    आत्मा गलत को जान कर सही नही करती बल्कि वह गलत को गलत ही कहती है
    कारी नही लगाती ....किनारी लगाती है ...
    अनिल आप भी किनारी ही लगा रहे है ,
    आत्मा का यह गीत जागता रहे .
    लेकिन स्वयंम को गलत नही सुध बुध ही जाने -जो आत्मा है ..वरना तरेगा कौन ?
    By: Pramod Kumar Sharma, Akashwani BIKANER

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