''चलो,उठो,कुछ कर दिखाने का समय आ गया है।''
एक निहायत ही ग्रामीण और सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाला और एक विद्यार्थी जिसके मन में जब तब सवालों के कीड़े कुलबुलाने लगते हैं तो वह कविता की शरण लेता है। बस! यही मेरा परिचय है! स्वागत है आपका मेरी दुनिया में.……
सोमवार, 24 नवंबर 2014
jindagi
कुछ ख्वाहिशें अधूरी सी,तो कुछ होती पूरी सी//जिंदगी हर पल है ''अबूझ '',कभी आधी सी तो कभी पूरी सी।
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