बुधवार, 26 नवंबर 2014

कालाधन

                  नमस्कार। 

आज संसद में हो रही काले धन पर चर्चा देखी।एक बात  तो साफ़ है,कि केंद्र की पूर्ण बहुमत वाली सरकार भी 
इस मुद्दे पर बेबस नजर आ रही है। रक्षा मंत्री अरुण जेटली के वक्तव्य से ये बात खुलकर सामने आई कि जब तक इस देश की कानूनी संरचना,चुनाव सुधार आदि क्षेत्रों में पर्याप्त काम नहीं किया जायेगा,ये समस्या जस की तस रहने वाली है। सदन के वरिष्ठ सदस्य श्री सीताराम येचुरी ने भी चुनाव सुधारों खासकर पार्टीयों के लिए चुनाव में खर्च सीमा तय करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा अन्य सांसदों ने भी देश के अंदर छिपे काले धन को खोजने पर जोर दिया। 
इन सब बातों से कुछ चीजें स्पष्ट होती है-
१. मोदी जी द्वारा आम चुनाव में विदेशों में जमा काले धन को लेकर किये गए वादे को पूरा करने में इस सरकार को कुछ साल भी लग सकतें हैं। {बशर्ते सरकार की इच्छाशक्ति बनी रहे }
२. सरकार को अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर टैक्स हैवन देशों को खातों की सम्पूर्ण जानकारी देने के लिए राजी करना /बाध्य करना होगा। 
३. सरकार को देश में भी अवैध कारोबारों में लगे धन की जाँच करनी होगी। 
४. जल्द से जल्द चुनाव सुधार कानून लाना होगा जिसमें उम्मीदवार के साथ -साथ पार्टी की भी खर्च सीमा तय करनी होगी। 
५. अप्रवासी भारतीयों के सम्बन्ध में भी विदेशी खातों से संबंधित नियमों को कड़ाई से लागू करना होगा इत्यादि।।
                      उपरोक्त कुछ कदम हैं जो काले धन की वापसी और रोकथाम के लिए उठाये जाने चाहिए। वैसे लगता नहीं कि सरकार इतना कुछ कर पायेगी,परन्तु अगर इनमें से कुछ कदम सरकार उठा पाती है,तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।।।।

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