बुधवार, 1 मार्च 2017

parda/kavita

#परदा/अनिल_अबूझ
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परदे के आगे
सारे कैरेक्टर हैं
दर्शकों से खचाखच भरा
हॉल है
पॉपकॉर्न खाते
बच्चे बूढे जवान हैं
अभिनय करते अभिनेता
प्रेम,ममता,आक्रोश
अपने चरम पर है
देशभक्ति का जोश
उबाल रहा लहू
माइक पर चीखते नेता
बादाम खाते अफसर
अभिजात्य अभिनेता
तालियों की गड़गड़ाहट
बच्चों की मुस्कानें
धर्म
घंटियाँ
अजान
सबकुछ है
लेकिन तभी
परदे के पीछे की
एक हल्की सी चीख
सन्न करती सबको
उजागर कर देती है
सारा नकलीपन
"मुझे रोटी चाहिए,मैं भूखा हूँ"
कुछ तो है जिसकी पर्देदारी है....
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©अनिल अबूझ

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